Sunday, October 23, 2016

||अघोरकष्टोद्धारणस्तोत्रम|| श्री वासुदेवानंद सरस्वती महाराज



||अघोरकष्टोद्धारणस्तोत्रम||
श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव| श्री दत्तास्मान पाहि देवाधीदेव||
भावग्राह्य क्लेशहारिन सुकीर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||
त्वं नो माता त्वं पिताप्तो दिपस्त्वं| त्रातायोगक्षेमकृसद्गुरुस्त्वम||
त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||
पापं तापं व्याधीमाधींच दैन्यम| भीतिं क्लेशं त्वं हरा$शुत्व दैन्यम||
त्रातारंनो वीक्ष इशास्त जूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||
नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता| त्वत्तो देवं त्वं शरण्योकहर्ता|
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||
धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिं| सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिं
भावासक्तिंचाखिलानन्दमूर्ते| घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||
श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम|
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत||
||इति श्रीमत्वासुदेवानंदसरस्वतिविरचितं अघोरकष्टोद्धारणस्तोत्रम सम्पूर्णम||

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